BAPSA यानी कि बिरसा अम्बेडकर फुले स्टूडेंट असोसिएशन ने JNU के चुनावी बिगुल में अपने कैंडिडेटस का एलान कर दिया है, जिसे देख कर यह लग रहा है कि BAPSA ने हर वर्गों का ध्यान रखा है, खासकर शोषित वर्ग से प्रत्याशी लिए है।
वैसे तो JNU लंबे समय से लेफ्ट पॉलिटिक्स के लिए जाना जाता है, लेकिन पिछले कुछ चुनावों में BAPSA ने अच्छा प्रदर्शन किया है, वह कैम्प्स में शोषितों की आवाज़ बना है जो अक्सर लेफ्ट- राइट के पॉलिटिक्स में उलझ जाते थे। BAPSA ने अपना पहला चुनाव 2015 में लड़ा था तब उसके प्रेसिडेंटीसीएल कैंडिडेट चिन्मया महानन्द थे। इस बार यह देखना रोचक होगा कि JNU अपने नवविचार के लिए जाना जाता है वह अम्बेकरवादी विचारधारा को कितना महत्व देता है।