हाल ही में सोशल मीडिया पर एक बहस छिड़ गई हैं की जो भी जय श्री राम का नारा लगाएगा वह अंबेडकरवादी नहीं हो सकता है। दरअसल हुआ यूं कि रोहिणी घावरी जो की एक भारतीय छात्रा है और स्विट्जरलैंड से पीएचडी कर रही है उन्होंने UN में भारत को रिप्रेजेंट किया था और जब वह भाषण की शुरुवात करती हैं तो जय श्री राम! के नारे के साथ करती हैं। उसके बाद सोशल मीडिया पर बहस छिड़ जाती हैं क्योंकि रोहिणी अपने आप को अंबेडकरवादी भी बताती हैं और जय भीम के नारों को भी अक्सर लगाते रहती हैं, लेकिन अंबेडकरवादियों का ऐसा मानना है कि जो इंसान जय श्री राम! का नारा लगाता है वह आंबेडकरवादी नहीं हो सकता है क्योंकि यह बाबासाहेब के मूल विचारों के खिलाफ हैं, जय श्री राम का नारा उस पुरातन सभ्यता को दर्शाता हैं जिसमें आज भी ब्राह्मण सर्वोपरी है जिसमें आज भी मनुवाद विद्यमान हैं। इन प्रतिक्रियायों पर रोहिणी का मानना हैं की वह आपसी भाईचारे के लिए ऐसा नारा लगाती हैं जहां जय भीम!भी रहे और जय श्री राम भी।