जेएनयूएसयू के नतीजे घोषित हो चुके हैं। जहां एक तरफ लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के नेता अपनी पार्टी बदल बीजेपी ज्वाइन कर रहे हैं, उसी घड़ी में JNU ने पूरे देश को जबाब दिया है कि यदि विपक्षी ताकते एकजुट हो जाए तो सत्ता निहित पार्टी को हराया जा सकता हैं। वैसे तो JNU में शुरू से ही लेफ्ट का दबदबा रहा हैं और जब चुनाव 4 साल बाद हुआ तब भी कैंपस में लेफ्ट यूनिटी के ही उम्मीदवार धनंजय चुन के आते हैं। लेकिन धनंजय का अध्यक्ष बनना बाकी अध्यक्षों से भिन्न हैं क्योंकि लेफ्ट में भी शुरू से उच्च जाति का ही दबदबा रहा हैं, और उसमें धनंजय का अध्यक्ष बनना पूरे बहुजन समाज को एक संदेश जाता हैं कि दलित केवल कॉमरेड बनने के लिए नहीं, दलित कॉमरेडो का लीडर भी बन सकता हैं। धनंजय का अध्यक्ष बनना बिहार के दलितों को एक नई उम्मीद देता हैं कि दूर –दराज के वंचित समुदाय विश्वविद्यालय में आ कर अपनी शिक्षा के साथ –साथ अपनी भागीदारी भी सुनिश्चित कर सकता हैं।