बीते दिनों देश की तत्कालीन वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने एक इंटरव्यू में कहा कि उनके पास चुनाव लड़ने के पैसे नहीं हैं जिस वजह से आगामी लोकसभा चुनाव नहीं लड़ रही हैं. उन्होंने बताया कि भाजपा के तरफ से उन्हें टिकट ऑफर किया गया था लेकिन उन्होंने आर्थिक हालातों के मद्देनजर चुनाव लड़ने से मना कर दिया. इस बयान के बाद जनता में एक सवाल दौड़ रहा है कि चुनाव लड़ने के लिए कितने पैसे चाहिए होते हैं? जनता के प्रतिनिधित्व करने के लिए कितने पैसे चाहिए होते हैं? जनता ये भी सोच रही है की चुनाव में पैसे पार्टी लगाती है या फिर उम्मीदवार और अगर उम्मीदवार लगाते हैं तो चुनाव में लगने वाले करोड़ों रुपयों की भरपाई कैसे कर पाते हैं? वहीं लोगो में एक संवेदना भी दिखी की जहां एक तरफ एक छोटे से पंचायत का प्रधान बनने से लोग लाखों की संपति बना लेते हैं और चुनाव जीतते ही घर के सामने स्कॉर्पियो खड़ी हो जाती है वहीं एक पूर्णकालिक वित्त मंत्री के पास चुनाव लड़ने के पैसे नहीं हैं, क्या यह सच है और यह सच है तो क्या निर्मला सीतारमण बहुत ईमानदार हैं?
अगर लोक सभा चुनाव की बात की जाए तो इसके लिए चुनाव आयोग ने कुछ निर्देश रखा है कि कोई भी उम्मीदवार 95 लाख रुपए से अधिक खर्च नहीं कर सकता और विधान सभा चुनाव में 40 लाख की सीमा निर्धारित की गई है.
निर्मला सीतारमण के पास कितनी संपत्ति है?
2022 में राज्यसभा चुनाव में निर्मला सीतारमण ने नामांकन के दौरान उनके दिए गए संपत्ति के ब्यौरा में बताया है कि उस साल उनके पास कुल 63 लाख रुपए की चल संपत्ति व 1 करोड़ 87 लाख रुपए की अचल संपत्ति है. सोचने वाली बात यह भी है कि देश में हो रहे जमीन घोटाले में पूंजीवादियों से लेकर राजनेता तक शामिल होते हैं या यूं कहें कि राजनेता के सह पर ही जमीन माफियाओं की हिम्मत इतनी ज्यादा होती है और इसमें राजनेता का कमीशन बनता है और यह बहुत बार साबित भी हो चुका है, लेकिन हमारे देश की वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के पास कुल मिलाकर सिर्फ 17 लाख की Non-Agricultural जमीन है। अगर इन सब रिपोर्ट को ही सही माने तो देश की वित्त मंत्री बहुत ही ईमानदार हैं.