“जेल के ताले टूटेंगे”, संजय सिंह के जमानत से राजनीति में नया मोड़?

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Pic Credit : Mint

बीते मंगलवार को आम आदमी पार्टी के नेता व राज्यसभा सांसद संजय सिंह को कोर्ट से राहत मिली, उन्हें 6 महीने बाद जमानत मिली है और अब वो लोकसभा चुनावों में आम आदमी पार्टी के तरफ से मोर्चा सम्हाले दिख रहे हैं। जेल से बाहर आकर वो सबसे पहले आम आदमी पार्टी के मुखिया अरविंद केजरीवाल की पत्नी सुनीता केजरीवाल से जाकर मिले। उसके बाद देर रात एक सभा भी रखी जिसमे आम आदमी पार्टी के समर्थकों का जमावड़ा लग गया था और मीडिया कर्मी भी मौजूद थे। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की खूब आलोचना की और भाजपा के भ्रष्टाचारों की व्याख्या भी की, उन्होंने बताया की कैसे भाजपा के एक राष्ट्रीय अध्यक्ष बांगरू लक्ष्मण भ्रष्ट्राचार करते हुए रंगे हाथो पकड़े गए फिर भी भाजपा खुद को भ्रष्टाचाररोधी पार्टी कहती है।

उन्होंने बताया की कैसे प्रधानमंत्री ने जिसे एक से बड़े एक भ्रष्ट्राचारी कहा उन्हे अपने पार्टी में मिलाते जा रही है और उनके ऊपर लगे आरोप से मुक्त करते जा रही है, सोचने वाली बात तो ये है कि अगर कोई भ्रष्टाचारी है तो उसे आप खुद अपने पार्टी में शामिल क्यों कर रहे हैं और अगर कर रहे हैं तो खुद को भ्रष्टाचार से मुक्त कैसे कह सकते हो, इसका मतलब तो ये हुआ कि पुलिस चोर को पकड़ कर ला रही है और थाने में उसे नहला धुला कर वर्दी पहना कर उसे ही पुलिस बताने लगती है। अगर भ्रष्टाचारियों के कांग्रेस में होने से कांग्रेस भ्रष्ट है तो उनका आपके पार्टी में आने के बाद आप कैसे शरीफ रह गए? सवाल बहुत हैं जिन्हें मेनस्ट्रीम मीडिया सरकार से पूछना नहीं चाह रही, शायद उन्हें भी डर है की ईडी के सहयोग से पत्रकारों के कलम को तोड़ ना दिया जाए। पत्रकारों का डर लाज़मी भी है क्योंकि अगर मुख्यमंत्रियों का नहीं चल पा रहा है और मीडिया हाउस के एक कोने में बैठे एक चालीस हजार की तनख्वाह पाने वाले पत्रकार कैसे नहीं डरेंगे।

आपको बता दें कि संजय सिंह को पीएमएलए के कानून के तहत अक्टूबर 2023 को कथित शराब घोटाले में गिरफ्तार किया गया था जिसका कोर्ट में ईडी न सर दिखा पा रही ना पैर, हालांकि कानूनी दांव पेंच में फंसा कर किसी को परेशान करके उनका काम फंसाना तो आए दिन हमारे देश में होते रहता है, और ये मामला अदालत ही तय कर पाएगी।
संजय सिंह के जेल से बाहर आने पर लोकसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी वापस से मजबूती दिखाती नजर आ रही है। देखना यह है कि जनता का विश्वास किसपर जाता है।