#DalitHistoryMonth आज के दलित हिस्ट्री मंथ के सीरिज में हम जानेंगे, जगजीवन राम के बारे में। आज ही के दिन यानि की 5 अप्रैल 1908 को बिहार के चंदवा गांव में इनका जन्म हुआ था। जगजीवन राम का लोगो से जुड़ाव और जनता के नेता होने के कारण इन्हें बाबू जगजीवन राम कहा जाता है। जगजीवन राम एक स्वतंत्रता सेनानी, समाज सुधारक, देशव्यापी नेता, दलितों के चैंपियन थे। वह लगभग 50 सालों से संसदीय कार्यों में सक्रिय थे।
जगजीवन राम एक दलित समुदाय से आते थे और उन्होने उस दौर में अपनी उच्च शिक्षा पूरी की, जब दलितों का शिक्षा लेना एक पाप समझा जाता था। उन्होंने कई जगह इस बात को उजागर किया है कि स्कूल–कॉलेज कई सार्वजनिक जगह पर उनके साथ जातिगत भेदभाव होते रहे हैं। इन सब के बावजूद भी उन्होंने हिम्मत नहीं हारी और उन्होंने यह तय किया कि उन्हें देश के दलित –पिछड़ों के लिए काम करना है। इसके लिए उन्होने 1934 में गुरु रविदास जयंती पर रविदास सम्मेलन का आयोजन किया, उन्होंने अखिल भारतीय रविदास महासभा एवम ऑल इंडिया डिप्रेस्ड क्लासेज लीग की भी स्थापना की। उन्होने सन 1935 में हेमंड कमीशन से दलितों के मतदान अधिकार की भी मांग की।
वह देश के श्रम मंत्री, रक्षा मंत्री, उप प्रधानमंत्री भी रहे और अपनी नीतियों से देश के दलित –बहुजनो के लिए कार्य करते रहे। उन्हें जवाहर लाल नेहरू एवम महात्मा गांधी का करीबी माना जाता था और दलितों के मंदिर प्रवेश जैसे आंदोलनों में सक्रिय भी रहे। कई बार उन्हें इस बात की निंदा भी झेलनी भी पड़ी की वह गांधी के रास्ते पर चलकर दलितों को हिंदू बनाना चाहते हैं, जबकि मूल रूप से दलित हिंदू कभी थे ही नही।
अनेक निंदाओ को दरकिरनार करते हुए यदि जगजीवन राम के योगदान को आंके तो उनका दलित उत्थान में योगदान अतुलनीय है, उन्होने यह कर दिखाया कि देश के दलितों को राजनीति में सक्रिय होना कितना ज़रूरी है, यदि वह सक्रिय होते हैं तो जाति की बेड़ियों को तोड़कर देश के उप प्रधानमंत्री भी बन सकते हैं।