मध्य प्रदेश के जबलपुर हाई कोर्ट ने 1990 के दशक में हुए आर्म्स केस में लालू यादव पर वारंट जारी किया है, यह वारंट परमानेंट वारंट है जो कि तभी जारी किया जाता है जब आरोपी पर पहले जमानती व गैर जमानती वारंट जारी हो चुका होता है और आरोपी हाजिर न हुआ हो।
आपको बता दें कि यह केस 1995-97 में बिहार के तत्कालीन मुख्यमंत्री लालू यादव द्वारा अवैध तरीके से हथियार खरीदने के संदर्भ में है। सोचने वाली बात यह है कि लोक सभा चुनाव के नजदीक आते ही धीरे धीरे विपक्ष का सूपड़ा साफ करने का प्रयत्न पूरे देश में की जा रही है।
Election commission को मौजूदा सरकार और उसकी पार्टी भारतीय जनता पार्टी की कमियां और चुनाव के ठीक पहले हो रहे गिरफ्तारियों पर अंकुश लगाना जरूरी नहीं लग रहा है लेकिन आम आदमी पार्टी की नेता आतिशी को भाजपा द्वारा कथित रूप से भड़काए जाने की बात कहने पर Election commission उन्हें नोटिस जरूर भेज देती है। Election commission देश के लिए काम कर रही या मौजूदा सरकार के लिए ये सोचने वाली बात है, सिर्फ Election commission ही क्यों, देश की बाकी बची जरूरी संस्थाएं जैसे की ईडी और सीबीआई भी सरकार के पक्ष में ही दिख रही है जिसे सरकार अपना जिन्न बना कर रखी और अपने हुकुम के अनुसार अपना काम कराए जा रही है और ये सब जी आका जी आका किए जा रहे हैं। हम यह नहीं कह रहे कि ईडी सिर्फ सरकार की ही काम कर रही लेकिन अगर सिर्फ सरकार की काम नहीं कर रही तो विपक्ष के 25 नेताओं पर जब गंभीर मुकदमे हुए थे तो उनके बीजेपी में शामिल होते ही 2 केस खत्म और बाकी ठंडे बस्ते में जाते क्यों दिख रहे हैं?
सोचना बहुत कुछ है और सोचना जरूरी भी है।