मायावती के चाहने वाले कई दिनों से इस बात का बेसब्री से इंतजार कर रहे थे कि कब मायावती (बहन जी) चुनावी मैदान में प्रत्यक्ष रूप से उतरेंगी। हैरानी की बात यह है कि मायावती ने इस बार अपनी चुनावी यात्रा उत्तर प्रदेश से भी महाराष्ट्र के नागपुर से की है, जो दलित आंदोलनों के साथ –साथ RSS का भी गढ़ रहा है।
इस बार मायावती की पार्टी बीएसपी ने किसी भी पार्टी से समर्थन नही लिया है और नाही दिया है और अकेले ही चुनाव लड़ने का फैसला लिया है। अगर महाराष्ट्र की बात की जाए तो बीएसपी महाराष्ट्र के कुल 48 सीटों पर चुनाव लड़ रही है।
मायावती ने अपनी पहली रैली में बीजेपी और कांग्रेस दोनों को ही घेरा है, कॉन्ग्रेस को घेरते हुए उन्होंने कहा है कि जब कांशीराम की मृत्यु हुई थी तब कांग्रेस सरकार सत्ता में थी और इन्होंने उनके मृत्यु पर एक दिन का भी शोक दिवस नही रखा, वही उन्होंने मंडल की लड़ाई भी याद की और का की देश में ओबीसी आरक्षण बीएसपी के संघर्षों के वजह से है, और कांग्रेस यही गलतियां कर के धीरे –धीरे सत्ता से बाहर आ गई, वहीं उन्होने बीजेपी को भी घेरते हुए कहा है कि बीजेपी एक सांप्रदायिक, जातिवादी और सामंतवादी पार्टी है, यही गलतियों की वजह से ये भी धीरे –धीरे सत्ता से बाहर आएंगे।
उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, दिल्ली, पंजाब जैसे राज्यों में बीएसपी अच्छा प्रदर्शन करते आई है लेकिन पिछले एक दशक से बीएसपी के कोर बहुजन वोटर्स कभी बीजेपी, कभी आप तो कभी आसपा की ओर शिफ्ट होते नजर आए हैं, ऐसे में यह देखना होगा कि क्या इस बार बीएसपी अपने कोर वोटर्स को समेट पाएगी?