पिछड़ों का हक दिलाने वाले कौन थे बी .पी मंडल?

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Pic credit: Newstrack

13 अप्रैल यानी कि बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री, मंडल कमीशन के अध्यक्ष बीपी मंडल की पुण्य तिथि है।

कौन थे बीपी मंडल?

बीपी मंडल का जन्म 25 अगस्त 1918 को बनारस में हुआ था, उनका बचपन बिहार के मधेपुरा जिला के मुरहो गांव में बीता, उन्होंने अपनी उच्च शिक्षा बिहार के दरभंगा एवम पटना से की थी। बीपी मंडल बिहार के एक संपन्न यादव परिवार से आते थे, लेकिन उनकी आर्थिक संपन्न होते हुए भी उन्हें जातिगत भेदभाव का शिकार होना पड़ा। जब वह स्कूल पढ़ने जाते तो उन्हें फर्श पर बिठाया जाता था, और अगड़ी जातियों को बेंच पर, वही भोजन भी पहले अगड़ी जातियों के बच्चों को पहले परोसा जाता था बाद में पिछड़ी जातियों को।

जाति की बेड़ियों को तोड़ते हुए 1952 में बीपी मंडल बिहार के मधेपुरा विधानसभा से सदस्य चुने गए थे। 1968 में वह बिहार के पहले शुद्र मुख्यमंत्री बने। उसके बाद सन् 1979 में जनता पार्टी द्वारा मंडल कमीशन का गठन हुआ जिसके अध्यक्ष बीपी मंडल बने।

मंडल कमीशन

इस आयोग का गठन भारत के अन्य पिछड़ा वर्ग के सामाजिक, शैक्षणिक, आर्थिक स्थिति के आकलन के लिए किया गया था।मंडल आयोग का गठन 1979 में हुआ था और इसकी रिपोर्ट 1980 में प्रस्तुत की गई थी, इस आयोग के अनुसार भारत में अन्य पिछड़ा वर्ग कुल 52 प्रतिशत है।

मंडल कमीशन की सिफारिशें

  • OBC को सार्वजनिक क्षेत्र और सरकारी नौकरियों में 27% आरक्षण प्रदान किया जाना चाहिये।
  • उन्हें सार्वजनिक सेवाओं के सभी स्तरों पर पदोन्नति में समान 27% आरक्षण प्रदान किया जाना चाहिये।
  • OBC को SC और ST के समान आयु में छूट प्रदान की जानी चाहिये।
  • सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों, बैंकों, सरकारी अनुदान प्राप्त निजी क्षेत्र के उपक्रमों, कॉलेजों और विश्वविद्यालयों में आरक्षण प्रदान किया जाना चाहिये।
  • आरक्षित कोटा, यदि पूरा नहीं किया गया है, को 3 वर्ष की अवधि के लिये आगे बढ़ाया जाना चाहिये।
  •  केंद्र व राज्य स्तर पर पिछड़े वर्ग के लिए एक अलग मंत्रालय/विभाग बनाया जाना चाहिए, जो उनके हितों की रक्षा का काम करेl
  •  पूरी योजना को 20 साल के लिए लागू किया जाना चाहिए और उसके बाद इसकी समीक्षा की जानी चाहिएl
  • सरकार इन सिफारिशों को लागू करने के लिये आवश्यक कानूनी प्रावधान करे।

मंडल कमीशन की सिफारिशों को वीपी सिंह की सरकार ने 1990 में मंजूरी दी थी, लेकिन सिफारिशें अंशत: ही लागू हो पाई है, देश के पिछड़ों का संघर्ष बहुत लंबा है इन सिफारिशों का पूर्णत: लागू हुए बिना ओबीसी समुदाय का आर्थिक –सामाजिक विकास अधूरा है।