रोहित वेमुला को इस दुनिया को छोड़े हुए लगभग सात साल हो गए हैं लेकिन उनके मरने के बाद भी जाति की गुत्थी सुलझने का नाम ही नही ले रही है, हाल ही में तेलंगाना पुलिस द्वारा वेमुला केस के क्लोजर रिपोर्ट में यह लिखा गया है कि रोहित वेमुला दलित नही थे वह एक ओबीसी थे और उनको इस बात का डर था कि उनके जाति का भेद कही खुल न जाए इसलिए उन्होंने आत्महत्या की, वही अंबेडकर स्टूडेंट एसोसिएशन का मानना है कि रोहित ने आत्महत्या नही की थी उन्हें प्रशासन द्वारा इतना मजबूर किया गया था कि वह ऐसे कदम उठाने के लिए मजबूर हो गए।
बता दें कि रोहित वेमुला हैदराबाद विश्वविद्यालय के एक पीएचडी छात्र थे जिन्हें विश्विद्यालय प्रशासन द्वारा हॉस्टल से निष्कासित कर दिया गया था और उनकी स्कॉलरशिप भी रोक दी गई थी।
इस मामले को लेकर वो और उनके साथी काफी दिनों तक धरने पर बैठे थे लेकिन विश्विद्यालय प्रशासन का रुख नही बदला और अंत में रोहित वेमुला ने हॉस्टल के एक कमरे में फांसी लगा ली।
उसके बाद संसद से लेकर मीडिया में अब तक बहस जारी है कि रोहित वेमुला दलित थे की नही थे और तेलंगाना पुलिस द्वारा उन्हें आज ओबीसी करार दिया गया है और उनकी मां पर भी इल्ज़ाम लगाए गए हैं की उन्होंने एससी समुदाय का फर्जी सर्टिफिकेट बनवाया था।