आपने एकलव्य की कहानी तो सुनी होगी, एकलव्य, महाभारत का एक पात्र है, जिसे गुरु द्रोणाचार्य ने इसलिए शिक्षा देने से मना कर दिया था क्योंकि वह क्षत्रिय नही था, और उसका दान में अंगूठा भी मांग लिया था जिससे उनके प्रिय क्षत्रिय छात्र अर्जुन के लिए प्रतिस्पर्धा न उत्पन्न हो। कुछ ऐसे ही द्रोणाचार्य इस इकस्वी सदी में भी विद्यमान है जो देश की शिक्षा व्यवस्था में एक निश्चित खाई उत्पन्न करते है जिससे इस देश में सभी को समान शिक्षा नही मिल पाता है। इसी द्रोणाचार्य एवम एकलव्य के बीच की खाई को दूर करने के लिए हमारे बीच एकलव्य फाउंडेशन का जन्म हुआ।
क्या है एकलव्य फाउंडेशन?
एकलव्य फाउंडेशन एक नॉन प्रॉफिट संगठन है, जहां देश के हाशिए समुदाय के लोगों को शिक्षा में सहायता प्रदान की जाती है। एकलव्य फाउंडेशन का मुख्य उद्देश्य है कि देश के वंचित समुदाय (दलित –आदिवासी, ओबीसी, अल्संख्यक, महिलाएं आदि) को उच्च शिक्षा के प्रति जागरूक किया जाए और उन्हें कॉलेज, यूनिवर्सिटी तक पहुंचाया जाए। इस उद्देश्य के लिए एकलव्य आवासीय प्रोग्राम भी चलाते है जहां कुछ दिन रहकर लोगों को उच्च शिक्षा के प्रवेश परीक्षा, छात्रवृति अन्य चीजों के लिए मार्गदर्शन किया जाता है। इन सारे प्रोग्राम को सुचारू रूप से चलाने के लिए इसमें इसके संस्थापक एवम सीईओ राजू केन्द्रे की अहम भूमिका है।
बूट कैंप
इस वर्ष एकलव्य फाउंडेशन ने दिनांक 7–9 जुलाई के बीच पीएचडी बूट कैंप का आयोजन किया था। यह बूट कैंप महाराष्ट्र के नागपुर शहर के सत्यशोधक रिसोर्स सेंटर में आयोजित हुआ। इस मौके पर फाउंडर एवम सीईओ राजू केन्द्रे भी मौजूद थे। पीएचडी बूट कैंप का मुख्य उद्देश्य देश के वंचित समुदाय के छात्रों को विदेश के पीएचडी के लिए जागरूक एवम प्रशिक्षण देना था। इस प्रशिक्षण को देने के लिए विश्व के कोने–कोने से मेंटर आए थे जो विदेशों में अपनी पीएचडी पूरी कर रहे है। तीन दिन बूट कैंप के दौरान विदेशों में पीएचडी के महत्व पर प्रकाश डाला गया, साथ ही साथ रिसर्च प्रपोजल, कवर लेटर, ईमेल, स्कॉलरशिप पर भी जानकारी दी गई।
स्वयं की पहचान
इस बूट कैंप में देश के विभिन्न हिस्सों से छात्र –छात्राएं आए हुए थे। बूट कैंप के दौरान प्रशिक्षण के साथ–साथ कुछ सांस्कृतिक गतिविधियां भी हुई, जिसमें छात्र– छात्राओं ने अपने कविता, गीत, शायरी पेश किए। यह सारी गतिविधियां बता रही थी की यह बूट कैंप प्रशिक्षण प्रोग्राम के साथ–साथ लोगो को उनके स्वयं के होने का एहसास दिला रहा था। कुछ कविताएं ऐसी पढ़ी गई जिससे यह लगा कि न जाने कितने सालों से किसी की आवाज़ को दबा के रखा गया। कुछ लोगों ने अपने संघर्ष की कहानियां सुनाई कि कैसे वह एक मजदूर थे और उन्होंने मजदूरी के साथ अपनी पढ़ाई पूरी की और आज वह विदेश के पीएचडी करने का सपना देख रहे है।
समाजिक समरसता का प्रतीक
इस बात का अंदाजा अभी नही लगाया जा सकता है कि इस बूट कैंप से कितने छात्रों का चयन विदेश में होगा, लेकिन इस बूट कैंप ने वंचितों के सपनों को एक नई उड़ान दी है। जहां रातों में लड़कियों का अपने घर से बाहर निकलना मना होता है वही यहां लडकियां देर रात तक अपने सपने की अपने जीवन की चर्चा करते हुई नजर आई, इस बूट कैंप में किसी के अंग्रेजी न आने को जज नही किया गया, नाही किसी के उच्चारण को सुधारा गया, नाही किसी की जाति –धर्म पर सवाल उठाया गया। कुल मिला के कहा जाए तो एकलव्य फाउंडेशन समाजिक समरसता, बहुजनो की आवाज़ का उत्तम उदाहरण है।