पेरिस ओलंपिक इस बार मेडल से ज्यादा खिलाड़ियों के वजह से सुर्खियों में था। इस ओलंपिक में सबसे ज्यादा चर्चा में रही भारतीय रेसलर विनेश फोगाट जिन्हें फाइनल में कुश्ती खेलने से इसलिए रोक दिया गया क्योंकि उनका वजन सीमा से 100 ग्राम ज्यादा था। जिसके बाद कुश्ती के नियमों को लेकर भी खूब बहस चली, इस मामले को लेकर विनेश (CAS) तक भी गई लेकिन वहा भी उन्हें निराशा ही मिली और उनके मामले को ख़ारिज कर दिया गया। विनेश को मेडल न मिलने के कारण लोगों ने सरकार पर खूब धावा बोला और कहा कि जिस तरीके से प्रधानमन्त्री सारे खिलाड़ियों से फ़ोन पर बात करके उन्हें बधाई देते है तो इतनी बड़ी घटना होने के बावजूद प्रधानमन्त्री विनेश को कॉल क्यों नही किए। विनेश जब अपने घर लौटी उनकी आंखों में आंसू थे, एयरपोर्ट पर स्वागत के लिए सभी थे लेकिन सरकार के तरफ़ से कोई नही था। विनेश के आंसू उनके दर्द को बयां करता है जब उनके पति से पूछा गया कि क्या विनेश को रेसलिंग के लिए दुबारा मनाएंगे, तो उनके पति ने कहा कि मैं नही मनाऊंगा, आखिर विनेश किसके लिए खेले? रेसलिंग फेडरेशन ने उनका साथ नही दिया, अब वह टूट चुकी है। विनेश अपने खेल के साथ -साथ अपने बेबाक अंदाज के लिए भी जानी जाती है, विनेश ने सरकार को ललकारा की रेसलिंग में महिलाएं सुरक्षित नही है, उस समय के तत्कालीन रेसलिंग फेडरेशन के अध्यक्ष के कुकर्मों को मीडिया के आगे बाहर लाया। विनेश बिना मेडल के तो लौटी है लेकिन उनकी स्वागत की झलकियां देख के लगता है कि पूरे देश ने उनका स्वागत किया जिसके लिए विनेश शुक्रगुजार भी है। अब यह कयास लगाए जा रहे है कि विनेश राजनीति में आएंगी और मोदी सरकार को ललकारेंगी, फिलहाल तो इस बात पर टिप्पडी नही की जा सकता है कि विनेश का अगला कदम क्या होगा लेकिन विनेश की सड़क की लड़ाई से लेकर कुश्ती मैदान तक विनेश के योगदान को यह देश याद रखेगा।