प्लेटो ने एक ऐसे राजा की कल्पना की है जिसमें मानवीय गरिमा, साहस और बौद्धिकता का मेल हो। ऐसा राजा मानव जाति को तमाम अभिशापो से मुक्त कर सकता है और अंधेरे से निकालकर रोशनी की ओर ले जा सकता है। ऐसे ही एक राजा का नाम है– छत्रपति शाहूजी महाराज, जिन्होंने अपने राज्य कोल्हापुर की 90% आबादी को उन अभिशापो से मुक्ति हेतु ऐसे निर्णायक उपाय किए जो बहुजन समाज के ऊपर जाति एवं वर्ण व्यवस्था ने लाद दिए थे। डॉ0अम्बेडकर के
सामाजिक अभियान में शाहूजी महाराज ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
1) भारत में आरक्षण के जनक
आज से करीब 120 वर्ष पूर्व यानी 1902 मे उन्होंने राजकाज के सभी क्षेत्रो मे उच्च जातियो (ब्राह्मणो) का एकछत्र वर्चस्व तोङने के लिए पिछङे वर्गो के लिए सर्वप्रथम 50% आरक्षण लागू किया। इनमे दलितो और आदिवासियो को भी शामिल किया गया था। ब्रिटिश शासन से आजादी के बाद 26 जनवरी 1950 को संविधान लागू होने के बाद सिर्फ अनु जाति, जन जातियो को ही आरक्षण का लाभ मिल पाया। अन्य पिछङे वर्ग (ओ बी सी) को आरक्षण का अधिकार काफी देर से मिला। कोल्हापुर राज्य में ब्राह्मणो की आबादी 4% थी लेकिन शासन प्रशासन व शिक्षा के क्षेत्र में उनकी हिस्सेदारी 70% से अधिक थी। गैर ब्राह्मणो के हित में शासन प्रशासन द्वारा उठाये जाने वाले हर कदम को ब्राह्मण नौकरशाह लागू नही होने देते थे। इस अन्याय को उन्होने खत्म करने का साहस उठाया।
2) शिक्षा के जरिए सामाजिक बदलाव: –
शाहूजी महाराज जानते थे कि बिना शिक्षा के दलितो और पिछङो का उत्थान नही हो सकता। उन्होंने 1912 मे प्राथमिक शिक्षा को अनिवार्य एवं निशुल्क बना दिया। इन स्कूलो की संख्या दुगनी हो गई। उन्होंने 1917 मे सभी धर्मस्थलो को राज्य के नियंत्रण में लेने का आदेश जारी कर दिया। इससे भी आगे बढकर उन्होंने शीर्षस्थ धार्मिक पदो पर पिछङे वर्ग के लोगो की नियुक्ति कर दी।
3) सामाजिक क्रान्ति के प्रणेता
जिस बंधुआ मजदूरी प्रथा को सरकार 1975 मे खत्म कर पाई, उस प्रथा को 1920 मे एक आदेश से शाहूजी महाराज ने कोल्हापुर राज्य में खत्म कर दिया। उन्होंने अपने राज्य में अश्पृश्यता का नामोनिशान मिटाने का संकल्प लिया था।
अतः 1919 को उन्होंने आदेश जारी किया कि यदि किसी भी सरकारी संस्थान में अछूत कहे जाने वाले लोगो के साथ अश्पृश्यता और असमानता का व्यवहार करता है या उनकी गरिमा को ठेस पहुँचाता है तो ऐसे कर्मचारी/ अधिकारी को कठोर दंड दिया जायेगा।
4) बहुजनो की तरक्की के रास्ते खोल दिए
उन्होंने दलित वर्ग के बच्चो के लिए निशुल्क होस्टल खोले और बजीफा का इंतजाम किया। बाद में उन्होंने सभी स्कूलो मे उनके प्रवेश के रास्ते खोल दिए। बाद में उन्होंने डॉ0अम्बेडकर को दलितो का नेता घोषित किया। अतः शाहूजी महाराज एक विशाल ह्रदय एवं व्यापक विजन वाले एक असाधारण राजा थे उनका सिर्फ एक ही लक्ष्य था कि कैसे दबे-कुचले एवं वंचित समाज का जीवन कैसे बेहतर बनाया जाए।
भवतु सब्ब मंगलम!