भारत में हिन्दू समाज मांसाहार को दिनचर्या का भोजन नहीं मानते हैं। फिर भी जब कृषि की खोज नहीं हुई थी तब भारत के लोग मांसाहार से ही अपनी जीविका चलाते थे। कृषि की खोज के बाद भी मांसाहार का प्रचलन सदियों तक चलता रहा। वर्तमान समय में मांसाहार का प्रचलन हिन्दू समाज में भी है।
भारत में हिन्दू समाज मांसाहार को दिनचर्या का भोजन नहीं मानते हैं। फिर भी मांसाहार का प्रचलन हिन्दू समाज में है। हिन्दू समाज मांसाहार का सेवन कुछ खास दिनों पर करना पसंद करते हैं। जैसे सप्ताह में एक दिन, सप्ताह में दो दिन, सप्ताह में तीन दिन, 1 जनवरी को, दोस्तों के साथ, पिकनिक में, अकेले में और विदेशों में। कुछ सिर्फ अंडे खाते हैं, कुछ सिर्फ मछली, कुछ सिर्फ चिकन। मांसाहार आर्थिक स्थिति से भी निर्धारित होता है : ज्यादा अमीर सामान्यत: ज्यादा मांसाहार का सेवन करते हैं और ज्यादा गरीब सामान्यत: कम मांसाहार का। कुछ महंगे और कुछ किफायती मांसाहार का सेवन पसंद करते हैं।
राज्यों में हिन्दू समाज में मांसाहार की स्थिति
रजिस्ट्रार जनरल द्वारा जारी सैंपल रजिस्ट्रेशन सिस्टम सर्वेक्षण 2014 के अनुसार, 15 वर्ष से अधिक आयु के 71 प्रतिशत भारतीय मांसाहारी थे। डेटा से पता चलता है कि तेलंगाना में सबसे अधिक मांसाहारी लोग हैं, जहां 98.8 प्रतिशत पुरुष और 98.6 प्रतिशत महिलाएं मांस, मुर्गा और मछली का सेवन करते हैं। अन्य राज्यों में उच्च मांसाहारी आबादी वाले राज्य थे:
पश्चिम बंगाल (98.55%)
आंध्र प्रदेश (98.25%)
ओडिशा (97.35%)
केरल (97%)
इस आंकड़े में हिन्दू समाज भी शामिल है।
पूर्वी और दक्षिण-पश्चिमी तटीय राज्यों में, मछली और समुद्री भोजन स्थानीय समुदायों के लिए मुख्य भोजन है। भारत के कुछ हिस्सों में, हिन्दू भैंस का भी मांस खाते हैं। अतः शाकाहारी और मांसाहारी से हिन्दू समाज निश्चित नहीं होता है।
वास्तविकता
भारत के संविधान में जैसी आदर्श बातें लिखी हुई है, वैसा वास्तव में नहीं होता है। धार्मिक पुस्तकों में भी जैसी बातें लिखी हुई है, वैसा वास्तव में नहीं होता है। हिन्दू समाज के प्राचीन वेदों के अनुसार, जानवरों की बलि दी जाती थी और उन्हें खाया जाता था। अर्थात उस समय का भी हिन्दू समाज मांसाहारी था।
करोड़ों हिन्दू मांसाहारी समझते हैं कि वे अपना जीवन धर्मशास्त्रों के अनुसार जीते हैं और गर्व महसूस करते हैं। परंतु वास्तविकता में, एक प्राचीन धर्मशास्त्र मनुस्मृति में लिखा हुआ है —
One can never obtain meat without causing injury to living beings… he should, therefore, abstain from meat. Reflecting on how meat is obtained and on how embodied creatures are tied up and killed, he should quit eating any kind of meat…The man who authorises, the man who butchers, the man who slaughters, the man who buys or sells, the man who cooks, the man who serves, and the man who eats – these are all killers. There is no greater sinner than a man who, outside of an offering to gods or ancestors, wants to make his own flesh thrive at the expense of someone else’s.
— Manusmriti, 5.48-5.52, translated by Patrick Olivelle
1 जनवरी 2024 को नरेंद्र मोदी कन्याकुमारी गए थे, जहां उन्होंने विवेकानंद रॉक मेमोरियल पर साधना की, भगवती अम्मान मंदिर में पूजा की और तिरुवल्लुवर की मूर्ति पर अपना सम्मान प्रदर्शित किया। तिरुवल्लुवर ने प्राचीन काल में तमिल में तिरुकुरल लिखी थी। तिरुकुरल को ‘तमिल वेद’ भी कहा जाता है। तिरुकुरल में लिखा हुआ है—
“जो अपने शरीर को बढ़ाने के लिए दूसरे जीवों का मांस खाता है, वह दयालु कैसे हो सकता है?” (श्लोक 251) … मांस नहीं खाना सबसे पवित्र धार्मिक प्रथाओं से भी अधिक पवित्र है।” (श्लोक 259)
लेकिन वास्तविकता यह है कि तमिलनाडु के हिन्दू मछुआरे मछली पकड़ने के लिए जाते हैं। रजिस्ट्रार जनरल द्वारा जारी सैंपल रजिस्ट्रेशन सिस्टम सर्वेक्षण 2014 के अनुसार, 97% तमिलनाडु के लोग मांसाहारी हैं। स्वामी विवेकानंद ने भी मांसाहार को स्वीकार किया था। और आज भी पश्चिम बंगाल की जनता मांसाहार को स्वीकार करती है।

A goat being slaughtered at Kali Puja, painted by an Indian artist. Dated between 1800 and 1899.
मांसाहारी न ही कोई से बुद्धिमान होता है और न ही कोई शाकाहारी। हिटलर मांसाहारी था और महात्मा गांधी शाकाहारी, परंतु दोनों बुद्धिमान थे। शाकाहारी नरेंद्र मोदी भी बुद्धिमान है और मांसाहारी व्लादिमीर पुतिन भी। भारत सरकार में सरकारी नौकरी पाने के लिए न ही मांसाहरी होने का सर्टिफिकेट चाहिए और न ही शाकाहरी होने का। बुद्धिमान उम्मीदवार वे है जिन्होने स्कूल, कॉलेज और विश्वविद्यालय की परीक्षाएं पास की हैं। विधायक या सांसद बनने के लिए भी मांसाहारी या शाकाहारी होने का सर्टिफिकेट नहीं चाहिए। काबिल नेता वे है जिनमे नेतृत्व करने की क्षमता है।

A goat being sacrificed in a Temple festival in Tamil Nadu. Author: Arunankapilan, 2008.
शाकाहार और मांसाहार पवित्रता का प्रमाण भी नहीं है क्योंकि भारत के अनेक मंदिरों में पशु बलि दी जाती है। यह पशु बलि हजारों लोगों के सामने दी जाती है जो लोग पशु बलि दे रहे हैं, जो लोग इनमें मदद कर रहे हैं वह निडरता से हजार लोगों के सामने पशु बलि देते हैं तब सोचिए वे लोग अपने घर के अंदर किस तरह की हिंसा और मांसाहार का सेवन करते होंगे।

The sacrificed buffalo’s head kept in a large brass utensil Kalibari Temple, Silchar, Assam. Author: Deeporaj, 2013.
यानी, भोजन न ही हिन्दू होने का प्रमाण पत्र है, न ही बुद्धिमता का, न ही काबिलियत का और न ही पवित्रता का। फिर भी हम इन प्रभावों को महसूस करते हैं।

–डिंपल कुमार, समाजिक-राजनैतिक एवं आर्थिक मुद्दों पर लिखते है.