20 नवंबर को बेंगलुरु के फ्रीडम पार्क में छात्रों और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने भारतीय प्रबंधन संस्थान बेंगलुरु (IIM-B) में कथित जातिगत भेदभाव के खिलाफ जोरदार विरोध प्रदर्शन किया। इस प्रदर्शन का आयोजन ऑल इंडिया ओबीसी स्टूडेंट्स एसोसिएशन (AIOBCSA) और डॉ. बीआर अंबेडकर एसोसिएशन ऑफ इंजीनियर्स (BANAE) जैसे संगठनों ने किया था। प्रदर्शनकारियों ने IIM-B पर संविधान द्वारा निर्धारित समता और समावेशिता के नियमों का उल्लंघन करने का आरोप लगाते हुए संस्थान के निदेशक ऋषिकेश टी. कृष्णन के इस्तीफे की मांग की।
प्रदर्शन में यह तथ्य उजागर किया गया कि IIM-B में अनुसूचित जाति (SC), अनुसूचित जनजाति (ST) और अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) के प्रतिनिधित्व में भारी कमी है। उपलब्ध 110 फैकल्टी पदों में से केवल 16 पद इन समुदायों से जुड़े लोगों द्वारा भरे गए हैं, जबकि संवैधानिक प्रावधानों के अनुसार आरक्षण लागू किया जाना चाहिए। प्रदर्शनकारियों ने मांग की कि सभी श्रेणियों में आरक्षण नीति को सख्ती से लागू किया जाए और जातिगत शिकायतों को सुलझाने के लिए विशेष शिकायत निवारण प्रकोष्ठ स्थापित किए जाएं।
प्रदर्शनकारियों ने आरोप लगाया कि जो फैकल्टी सदस्य विविधता और समावेशिता का समर्थन करते हैं, उन्हें संस्थान में उत्पीड़न का सामना करना पड़ता है। इसके अलावा, जातिगत मुद्दों पर कोई आधिकारिक शिकायत दर्ज न होने की बात को भी संस्थान की लापरवाही और प्रभावी शिकायत तंत्र की कमी के रूप में देखा गया।
इस विरोध को कांग्रेस के कर्नाटक प्रदेश महासचिव बीएस शिवन्ना और पार्टी प्रवक्ता ध्रुव जेट्टी का समर्थन मिला।
प्रदर्शनकारियों का स्पष्ट संदेश था: “उच्च शिक्षा के प्रतिष्ठित संस्थानों को न्याय, समावेशिता और समानता के संवैधानिक आदर्शों का पालन करना चाहिए।”