दुनिया और भारत
जैसा की हम सभी जानते हैं की हम तेजी से बढ़ते हुए दुनिया की सबसे बड़ी आबादी चीन जिसका दुनिया भर में 17.72 प्रतिशत योगदान था उसे पीछा छोड़ते हुए 17.76 प्रतिशत के साथ दुनिया की सबसे बड़ी आबादी वाले देश बन गए हैं। दरअसल 24 अप्रैल 2023 को युएन एक रिपोर्ट जारी करती हैं जिसमें ये बताया गया की 2023 में चीन भारत से जनसंख्या के मामले में पीछे हो जाएगा। भारत में अब तक के आए हुए सरकारी आंकड़ों के मुताबिक हम 142.86 करोड़ के जनसंख्या के साथ दुनिया की सबसे बड़ी जनसंख्या वाले देश बन चुके हैं।
भारत और चीन की जनसंख्या
1971 में चीन और भारत दोनों की प्रजनन दर का स्तर लगभग एकसमान था जिसमे एक महिला अपने जीवनकाल में छः बच्चे जन्मती थी। 1970 के दसक के अंत आते आते चीन में ये दर घट कर 3 बच्चे प्रति महिला रह गया बल्कि भारत में यह दर आने में 30 साल लग गए जिस वजह से हम इन तीन दशकों में जनसंख्या में काफी वृद्धि कर पाए। हाल के ही मिले रिपोर्ट के अनुसार 2022 में चीन में अपने जीवनकाल में प्रति महिला बचे जन्मने का दर 1.2 है वहीं भारत में यह दर 2 बच्चा प्रति महिला था।

फायदे और चुनौतियां
हम दुनिया के सबसे बड़े युवा आबादी वाले देश हैं जिसमें युवाओं की संख्या 9 अरब 80 लाख है जिनकी उम्र 35 वर्ष या उससे कम है। अगर हम इसे और भी संक्षिप्त में समझना चाहें तो भारत के जनसंख्या का 66 प्रतिशत युवा हैं जिसमें 15-24 वर्ष के 2 अरब 5 करोड़ और 50 लाख युवा हैं जो आने वाले समय में दुनिया के सामने सबसे बड़े कार्यबल हैं जो की देश के आर्थिक विकास और विस्तार के लिए कारगर साबित हो सकते हैं।
दूसरी ओर इसका मतलब ये भी है की इन युवाओं के उपयोग में आने वाले संसाधन जैसे शिक्षा, स्वास्थ्य तथा अन्य जरूरी संसाधनों की पूर्ति करने में चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है।
उपाय
हम अपने देश के प्रजनन दर की प्रभावित करने के लिए बनाये गए नियमों और लोगों की शिक्षा में सुधार कर के देश के लिए एक बेहतर भविष्य चुन सकते हैं जैसे की अगर हम लोगों की शिक्षा में गुणवत्ता लाकर उन्हें ये समझने के काबिल बना पाएं की देश के विकास के नज़रिए से हमें कितने बच्चे पैदा करने चाहिए तो लोग खुद से अपनी जिम्मेदारी से निर्णय ले सकेंगे। उन्हें एक सही जानकारी और साधन प्रदान करना चाहिए।