
हाल ही मे AIOBCSA ने एक संगोष्ठी का आयोजन किया था, जिसमें देश के चुनाव विश्लेषक, सामाजिक कार्यकर्ता, शिक्षाविद, छात्र नेता वक्ता के तौर पर बुलाए गए थे, जिनमें से एक स्पीकर सैम पित्रोदा भी थे, जिनके जीवन की कहानियों ने ओबीसी छात्रों में ऊर्जा भर दिया। बता दें कि सैम पित्रोदा का जन्म उड़ीसा के एक गांव में एक बढ़ई परिवार में हुआ था, जिनके घर में शिक्षा का कोई प्रचार-प्रसार नही था, फिर भी पित्रोदा ने इंजीनियर बनने का सोचा, और उन्होंने इस सपने को पूरा करने के लिए विदेश आने का ठाना, एक पिछड़े परिवार के युवक के लिए यह सब करना आसान नही था, क्यों कि उनके पास संसाधनों का अभाव था, फिर भी वह ट्रेन, जहाज, बस और विभिन्न देशों की सीमाएं पार कर अमरीका पहुँचे, जहाँ उन्होंने बड़ी मुश्किल से अपनी पढ़ाई पूरी की, अपने साथ-साथ पूरे परिवार को विदेश लाए और अपने पूरी पीढ़ी की कायापलट की। आज सैम पित्रोदा को भारत में दूरसंचार का अग्रदूत माना जाता है, वह राजीव गांधी एवं मनमोहन सिंह के सलाहकार भी रहे है, और आज भी राहुल गांधी के करीबी माने जाते है। उन्होंने पाँच किताबे भी लिखी है और अपने ज्ञान से भारत के साथ-साथ अन्य देशों को भी प्रकाशित किया है।
ओबीसी छात्रों को संदेश
चूकिं सेमिनार का विषय जातीय जनगणना था, तो उन्होंने बताया कि भारत के पिछडो के विकास के लिए विभिन्न पॉलिसी की जरूरत है लेकिन उसके लिए हमारे पास उपयुक्त आंकड़े नही है इसीलिए जातीय जनगणना आज की जरूरत है। उन्होंने यह भी कहा कि हम जरूर ही ओबीसी समुदाय में पैदा हुए है लेकिन हमें इतना आगे जाना है कि हमसे पिछड़े का टैग हट जाए, उन्होंने इस बात को स्वीकारा की भारत में असमानताएं है यहाँ सबके लिए समान अवसर उपलब्ध नहीं है लेकिन उन्होंने कहा कि इन सब प्रतिकूल परिस्थितियों के बावजूद भी हमे हताश नही होना है। उन्होंने इस बात लर भी चर्चा की कि ओबीसी समुदाय को जी विभिन्न सृजनात्मक कार्यो से जुड़े हुए हैं उन्हें अपने सृजन में तकनीक की आवश्यकता है, यदि बढ़ई, लोहार, अपने सृजन में तकनीक का इस्तेमाल करेंगे तो उनकी आमदानी भी बढ़ेगी और वह अपने आर्थिक स्थिति में सुधार ला पाएंगे। ओबीसी समुदाय को उनका यह संदेश उनमे नया जोश उत्पन्न करेगा जो आज के समय की जरूरत है।
ऋतु,
नेशनल कॉर्डिनेटर, AIOBCSA