हाशिए के समाज में हाशिए की मौत

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कोलाहलों  के बीच विजय वाल्मीकि का घर शांत है,

सांत्वना, डोनेशन और रुपए में,

विजय वाल्मीकि की कीमत तौली जा रही है,

रिपोर्ट्स, अखबार और इंटरव्यू वालों ने,

“पासिंग न्यूज” चस्पा करके उसे,

“जेएनयू में सफाई कर्मचारी की मौत” का,

तमगा दिया है ।

जेएनयू की वजह से सफाई कर्मचारी विजय, 

जो हाशिए के वाल्मीकि समाज से आते हैं,

अब “पासिंग रेफरेंस” नहीं रह गए हैं ।

उनके जैसे कई सफाई कर्मचारियों ने अपनी जान ,

गटर-नालों-कूड़ा -मैनहोलों को साफ़ करते वक्त दी है ।

मगर उनकी मौत का दर्जा उन्हें नहीं मिला,

वो समाज के लिए “पासिंग रेफरेंस” भी नहीं थे,

सांत्वना देने वाले विजय वाल्मीकि की पत्नी को कह रहे हैं,

सुकून है तेरा पति “पासिंग रेफरेंस” तो है ।

अखबार में विजय की कतरन है, फंड और पैसों का वादा है,

अब विजय “पासिंग रेफरेंस” नहीं, सवर्ण मीडिया के लिए एक तमाशा है ।

विजय के घर पर रिपोर्टर और सरकारी अमला, 

उसकी पत्नी से आत्महत्या की वजह पूछ रहे है ।

कौन जिम्मेदार था, शराब पीता था ।

कितना कर्ज था , आपकी बच्ची स्कूल जाती है ।

घर में खाने को है । पैसा देता था घर में ।

विजय की पत्नी ने चीखते हुए कहा, जाके,

पूछो उस पेड़ से,

जहाँ उसने आत्महत्या की ।

पूछो उस गटर से जहाँ समाज के लोग ,

दम घुटने से मरते चले आ रहे हैं ।

यह बिना ध्यान किए की हमारी मौत भी,

हमारे हाशिए के समाज की तरह,

सवर्ण मीडिया के लिए बस एक हाशिया है ।

अखबार की एक कतरन या “पासिंग रेफरेंस” है ।

कोई यह क्यों नहीं पूछ रहा है कि,

कितनी जमीन थी, कितना खेत था,

पढ़ाई और गाँव मजबूरी में क्यों छोड़ी थी,

उसके जात और जमात के लोग आखिर,

क्यों पीढ़ी दर पीढ़ी सफाई कर्मचारी बनने पर मजबूर हैं ।

चीख कर उसकी पत्नी शांत हो गई, निश्चल और अविरल,

रिपोटर्स और पुलिस के पूछने के बाद भी,

उसकी पत्नी शांत है, कुछ कह नहीं रही है ।

उसकी बच्ची ने कहा माँ भूख लगी है ।

 माँ ने आँसू पोछा और बच्ची के,

खाने का इंतजाम करने चली गई ।

शायद एक और हाशिए के मौत से बचने के लिए ।

~विकास कुमार

नोट: जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में आर्थिक तंगी के कारण आत्महत्या करने को मजबूर हाशिए के दलित समाज के हाशिए पर आने वाले सफाई कर्मचारी विजय वाल्मीकि के आत्महत्या के उपरांत उनके घर पर पसरे सन्नाटे, सवर्ण समाज और मीडिया के ताल्लुकात को बयां करती यह कविता । विकास कुमार जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय में शोध कर रहे हैं ।