बिहार के गया में चल रहे पितृपक्ष मेला की पृष्ठभूमि और ब्राह्मणवादी षड्यंत्र

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Pic credit: Prabhat Khabar

तथागत बुद्ध की सम्बुद्ध एवं ज्ञान प्राप्ति की भूमि “गया” के महत्व और इतिहास को खत्म करने के लिए ब्राह्मण पुरोहितों ने लगभग 1000 ई. से 1600 ई. के बीच गयासुर और विष्णु की झूठी कथाएं पुराणों में डालकर मृतक पुरखों के प्रति तर्पण अर्पित करने की योजना बनाई गई थी। ब्राह्मण पुरोहितों द्वारा तथागत बुद्ध के “निर्वाण यानी ज्ञान/बुद्धत्व” के स्थान एवं विचारों को मोक्ष और गया को मोक्षदायिनी स्थान के रूप में प्रचारित किया जाने लगा।


हम सभी जानते हैं कि प्राचीन काल में 5वीं सदी ईसापूर्व से लेकर 1200 ई. तक तथागत बुद्ध की ज्ञान भूमि के दर्शन करने एवं उस भूमि के प्रति श्रद्धा निवेदित करने के लिए हजारों मूलनिवासी नागवंशी लोग ‘गया भूमि’ पर जाते थे। यह सर्वविदित है कि तथागत बुद्ध को हर तरह से गया के नागवंशियों/असुरों ने मदद पहुंचाई थी। इसलिए बौद्ध ग्रंथों में नागवंशी असुरों के विवरण मिलते हैं और तथागत बुद्ध की प्राप्त मूर्तियों एवं तस्वीरों के उपर नागों की मूर्तियां मिली हैं। इस ऐतिहासिक महत्व को मिटा डालने एवं गया में बुद्ध के अनुयाई मूलनिवासी नागवंशी हजारों लोगों के आवागमन को देखते हुए ब्राह्मणों ने पितृपक्ष मेला की शुरुआत की गई थी।


कई दिनों पहले पितृपक्ष मेला की शुरुआत हो गई है जो 16 दिनों तक चलता रहेगा। इस मेले में मृत माताओं के लिए मातृपक्ष मेला या महत्त्व नहीं है। दरअसल पूरा ब्राह्मणवाद पुरुष सत्तात्मक समाज एवं धर्म -संस्कृति टिका हुआ है। ब्राह्मणवादी धर्म ग्रंथों में भी माताओं का कोई महत्व नहीं है।


इस मेला में ब्राह्मणवादी एवं अन्धविश्वासी हजारों लोग पहुंच रहे हैं। इस मेले में ब्राह्मणवाद के जाल में फंसे हुए सुशिक्षित अन्धविश्वासी , कम शिक्षित और अनपढ़ लोगों द्वारा अपने-अपने मृत पिता के साथ साथ पुरुष पूर्वजों को तर्पण देते हैं। वे अपने पुरखों के लिए भोजन, वस्त्र एवं अन्य सुविधाओं की चीजें ब्राह्मण पुरोहितों के द्वारा समर्पित करते हैं। उनके दिए गए पके हुए चावल, भोजन एवं अनाजों को कौवे और कुत्ते खाएंगे।


हजारों ब्राह्मण पुरोहितों को यजमानों द्वारा मृतक पुरखों के लिए समर्पित वस्त्र, सुविधाओं की चीजें और दान- दक्षिणा में काफी धन प्राप्त होगा। ब्राह्मण पुरोहित मालामाल एवं खुशहाल बनेंगे। बहुजन समाज को ऐसे कर्मकांडो से बचना चाहिए.