दलित मजदूर के अधिकारी बेटे का आईआईटी से आईएएस बनने का सफर जातिवाद ने निगला

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दलित होने का दंश: देश की सबसे प्रभावी परीक्षाओं को क्रैक करना भी रहा नाकाफ़ी

यह घटना है राजस्थान के नीमका थाना की जहां ललित बेनीवाल अपने 3 छोटी बहनों और माता-पिता के साथ रहते थे । ललित बचपन से ही पढ़ाई में होशियार थे, उन्होंने अपनी शिक्षा देश के उच्च संस्थान आईआईटी कानपुर से की, उन्होंने 2 बार UPSC का मेंस भी लिखा, और 1 बार RAS का भी। परिवार की आर्थिक तंगी की वजह से ललित ने ग्राम विकास पदाधिकारी की नौकरी जॉइन कर ली । उनके आस पास के लोगों के अनुसार वे काफ़ी ईमानदार थे और उनकी इस ईमानदारी और उनकी दलित होने के वजह से आर्थिक दिक्कतों के कारण उन्हें पद अनुसार व्यवहार सरपंच व सदस्यों के द्वारा नहीं मिलता था । इस वजह से ललित को आए दिन जातिवादियों का सामना करना पड़ रहा था, उन्होंने पैसे के गबन होने पर जब सरपंच के ख़िलाफ़ FIR करवाया, तबसे ललित को गांव के सरपंच एवं उसके बेटे के द्वारा धमकाया जा रहा था, ललित ने अपनी नौकरी से इस्तीफा भी दिया लेकिन उनका इस्तीफ़ा स्वीकार नही किया गया, उन्होंने ट्रांसफर की भी अर्जी दी लेकिन वह भी नही हुआ ।

आत्महत्या के लिए मजबूर किया गया

17 फ़रवरी को ललित देर रात तक जग कर कुछ लिखते रहे, उनकी माता जी को लगा कि वह पढ़ाई कर रहे हैं, दरअसल वह अपना सुसाइड नोट लिख रहे थे, उन्होंने 9 पेज़ के सुसाइड नोट में गांव के सरपंच पर भ्रष्टाचार, डराने-धमकाने का आरोप लगाया है। स्थानीय लोगों का यह मानना है कि ललित ने सुसाइड नहीं किया है, उनकी जातिवादियों द्वारा हत्या हुई है, वह देश के भावी आई ए एस थे । उनके माता-पिता आज भी मज़दूरी करते हैं और दो कमरे के एक छोटे से मकान में उनका परिवार रहता है । आज ललित का परिवार अकेला हो गया है, उनके घर की देख-रेख करने वाला इस दुनिया से जा चुका है।